आज

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

आज ^१ क्रि॰ वि॰ [सं॰ अद्य, पा॰ अज्ज]

१. वर्तमान दिन में । जो दिन बीत रहा है उसमें । जैसे, —आज किसका मुँह देखा था जो सारा दिन भटकते बीता ।

२. इन दिनों । वर्तमान समय में । जैसे,—(क) जो आज उनकी चलती है वह दूसरे की नहीं । —(ख) आज करे सो कल पावेगा ।

आज ^२ संज्ञा पुं॰

१. वर्तमान दिन । जो दिन बीत रहा है । जैसे, आज की रात वह इलाहाबाद जायगा ।

२. इस वक्त । जैसे,— खबरदार आज से ऐसा मत करना । मुहा॰—आज को=(१) इस समय । जैसे,—आज को यह बात कही, कल को दूसरी बात कहेगा । —(२) इस अवसर पर । ऐसे समय में । ऐसे मौके पर । जैसे,—आज को वह न हुए, नहीं तो बतला देते । आज तक=(१) आज के दिन तक । जैसे,—उसे बाहर गए बरसों हुए, पर आज तक उसका कोई खत नहीं आया । —(२) इस समय तक । इस घड़ी तक । जैसे,—कल का गया आज तक न पलटा । आज दिन=इस समय । वर्तमान समय में । जैसे, —आज दिन उनकी टक्कर का दूसरा विद्धान् नहीं । आज बरसकर फिर बरसेगा=ऐसा ही फिर होगा । आज लौं=आज तक । आज से=इस समय से । इस वक्त से । अब से । भविष्य में । जैसे,—अब तक किया सो किया आज से न करना । आज हो कि कल=थोड़े दिनों में । दो चार दिन के अंदर ही । जैसे,—उनका अब क्या ठिकाना, आज मरें कि कल ।

आज ^३ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ आजी]

१. बकरासंबंधी ।

२. बकरे से उत्पन्न [को॰] ।

आज ^४ संज्ञा पुं॰

१. गृघ्र । गिद्ध ।

२. आज्या घृत्त । घी ।

३. क्षेपण । फेंकना [को॰] ।