इच्छा

विक्षनरी से

बसीकरनकिताबमंतृहिनद


बसीकरनकिताब

बसीकरनकिताबमंतृ

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

इच्छा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक मनोवृत्ति जो किसी ऐसी वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान ले जाती है जिससे किसी प्रकार के सुख की संभावना होती है । कामना । लालसा । अभिलाषा । चाह । ख्वाहिश । विषेष—वेदांत और सांख्य में इच्छा को मन का धर्म माना है । पर न्याय और वैशेषिक में इसे आत्मा (गुण) धर्म या व्यापार माना गया है । पर्या॰—आकांक्षा । वांछा । दोहद । स्पृहा । इंहा । लिप्सा । तृष्णा । रुचि । मनोरथ । कामना । अभिलाषा । इषा । छंद । यौ॰—इच्छाघात । इच्छाचार । इच्छाचारी । इच्छानुकूल । इच्छा— नुसार । इच्छापूर्वक । इच्छाबोधक । इच्छाभेदी । इच्छाभोजन । इच्छावान् । इच्छाबाधक । इच्छावसु । स्वेच्छा । ईश्वरेच्छा ।

२. माल की माँग । विशेष—आधुनिक अर्थशास्त्र में माँग या 'डिमांड' शब्द का व्यव- हार जिस अर्थ में होता है, उसी अर्थ में कौटिल्य ने 'इच्छा' का प्रयोग किया है । उसने 'आयुधागाराध्यक्ष' अधिकरण में लिखा है कि आयुधेश्वर अस्त्रों की इच्छा और बनाने के व्यय को सदा समझता रहे ।

३. गणित में त्रैराशिक की दूसरी शक्ति ।

४. तितिक्षा या इच्छा शक्ति के प्रकट होने की पूर्वावस्था । उ॰—वह एक वृत्ति चक्र है जिसके अंतर्गत प्रत्यय, अनुभूति, इच्छा, गति या प्रवृत्ति, शरीरधर्म सबका योग रहता है ।—चिंतामणि, भा॰, २, पृ॰ ८८ ।