कुत्ता

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संज्ञा

पु.

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

कुत्ता संज्ञा पुं॰ [देश॰] [स्त्री॰ कुत्ती ]

१. भेडिए, गीदड़ और लोमड़ी आदि की जाति का एक हिंसक पशु जिसे लोग साधारणतः घर की रक्षा के लिये पालते हैं । श्वान । कूकुर । विशेष—इसकी छोटी बड़ी अनेक जातियाँ होतीं हैं और यह सारे संसार में पाया जाता है । इसकी श्रवण शक्ति बहुत प्रबल होती है और यह जरा से खटके से जाग उठता है । अपने स्वामी का यह बहुत शुभचिंतक और भक्त होता है । किसी किसी जाति के कुत्ते की घ्राण शक्ति बहुत प्रबल होती है जिसके कारण वह किसी के पैरें के निशान सूँघकर उसके पास जा पहुँचता है । शिकार में भी इससे बहुत सहायता मिलती है । पागल कुत्ते के काटने से आदमी उसी की तरह से भूँकने लगता है और प्रायः कुछ दिनों में मर जाता है । बरसात में इसके विष का दौरा अधिक होता है । काटे हुए स्थान पर कुचला घिसकर लगाना लाभदायक होता है । यौ॰—कुत्ते खसी = व्यर्थ और तुच्छ कार्य । मुहा॰—क्या कित्ते ने काटा है = क्या पागल हुए हैं ? उ॰— क्या हमें कुत्ते ने काटा है जो हम इतनी रात को वहाँ जाएँगे ? विशेष—साधारणतः पागल कुत्ते के काटने से मनुष्य पागल हो जाता है इसी से यह मुहावरा बना है । इसका प्रयोग प्रायः प्रश्न के लिये होता है और काकु अलंकार से अर्थ सिद्ध होता है । कुत्ते ने नहीं काटा है = दे॰ ' क्या कुत्ते ने काटा है ? कुत्ता घसीटना = नीच और तुच्छ कार्य करना । कुत्ते की मौत मरना = बहुत बुरी तरह से मरना । कुत्ते की हुड़क उठना = (१) पागल कुत्ते के काटने की लहर उठना (२) अचानक या कुसमय में किसी वस्तु के लिये आतुर होना । कुत्ते का दिमाग होना या कुत्ते का भेजा खाना = बहुत अधिक बकवाद करने की शक्ति होना । बहुत बक्की होना । कुत्ते की दुम = कभी अपनी बुरी चाल न छोङ़नेवाला । जिसपर समझने बुझाने या सत्संग आदि का कोई प्रभाव न पड़े । विशेष—कुत्ते की दुम टेढ़ी रहती है, वह कभी सीधी नहीं होती । इसी से यह मुहावरा बना है ।

२. एक प्रकार की घास जो कपड़ो में लिपट जाती है और जिसे लपटौवाँ कहते हैं ।

३. कल का वह पुरजा जो किसी चक्कर को उलटा या पीछे की ओर घूमने से रोकता है

४. लकड़ी का एक छोटा चौकोर टुकड़ा जो करगहने में लगा रहता है और जिसके नीचे गिरा देने पर दरवाजा नहीं खुल सकता । बिल्ली ।

५. संदूक का घोड़ा ।

६. नीच या तुच्छ मनुष्य । क्षुद्र ।