कुरु

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुरु संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वैदिक आर्यो का एक कुल ।

२. एक प्राचीन दोश जो दो भागों में विभक्त था—उत्तर कुरू और दक्षिण कुरु । दक्षिण कुरु हिमालय के दक्षिण में था, जिसमें पांचा- लादि देश थे; और उत्तर कुरु हिमालय के उत्तर में था जिसमें फारस, तिब्बत आदि देश थे । इसको लोग स्वर्ग भी कहते थे ।

३. एक सोमवशी राजा का नाम जिसके वंश में पांडु और धृतराष्ट्र हुए थे ।

४. कुरु के वश में उत्पन्न पुरुष ।

५. पुरो- हितकर्ता ।

६. पका हुआ चावल । भात ।