कोई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कोई कोई इस काव्यलिंग को हेतु अलंकार के अंतर्गत ही मानते हैं, अलग अलंकार नहीं मानते ।

कोई ^१ सर्व॰ [सं॰ कोपि, प्रा॰,, कोवि]

१. , ऐसा एक (मनुष्य या पदार्थ) दो अज्ञात हो । न जाने कौन एक । जैसे,— वहाँ कोई खड़ा था, इसी से मैं नहीं गया । मुहा॰— कोई न कोई=एक नहीं तो दूसरा । यह न सही वह । जैसे—कोई न कोई तो हमारी वात सुनेगा ।

२. ऐसा एक जो अनिदिष्ट हो । बहुतों में से चाई जो एक । अविशेष वस्तु या व्यक्ति । जैसे,—(क) वहाँ बहुत सी पुस्तक पड़ी हैं, उनमें से कोई ले लो । (ख) हमारा कोई क्या कर लेगा ? मुहा॰— कोई एक या कोई सा=जो चाहे सो एक ।

३. एक भी (मनुष्य) जैसे—वहाँ कोई नहीं हैँ ।

कोई ^२ वि॰

१. ऐसा एक (मनुष्य या पदार्थ) जो अज्ञात हो । मुहा॰—कोई दम का मेहमान= थोड़े ही काल तक ओर जीनेवाला । शीघ्र मरनेवाला ।

२. बहुतों में से चाहे जो एक । ऐसा एक जो अनिर्दिष्ट हो । जैस,—इनमें से कोई एक पुस्सक ले लो ।

३. एक भी । कुछ भी । जैसे—(क) कोई चिंता नहीं (ख) यह कोई पढ़ना नहीं है । मुहा॰— यह भी कोई बात है ? = यह कोई बात नहीं है । ऐसा नहीं हो सकता । ऐसा नहीं होना चाहिए । जैसे, —(क) जब हम आते हैं तब तुम चल देते हो । यह भी कोई बात है । (ख) यह भी कोई बात है कि जो हम कहें वह न हो ।

कोई ^३ क्रि॰ वि॰ लगभग । करीब करीब । जैसे—कोई दस आदमियों ने चंदा दिया होगा ।