खमीर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खमीर संज्ञा पुं॰ [अ॰ खमीर]

१. गूँधे हुए आटे का सड़ाव । क्रि॰ प्र॰— उठना ।—उठाना । मुहा॰—खमीर बिगड़ना = गूँधे हुए आटे का अधिक सड़ने के कारण बहुत खट्टा हो जाना । खमीर खट्टा होना = दे॰ 'खमीर बिगड़ना' ।

२. गूँधकर उठाया हुआ आटा । माया ।

३. कटहल, अनन्नास अदि को सड़ाकर तैयार किया गया एक पदार्थ जो तंबाकू में उसे सुगंधित करने के लिये ड़ाला जाता है ।

४. स्वभाव । प्रकृति । मुहा॰— खमीर बिगड़ना = स्वभाव या व्यवहार आदि में भेद प़ड़ना ।