गली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गल]

१. घरों की पंक्तियों के बीच से हो कर गया हुआ तंग रास्ता जो सड़क से पतला हो । खोरी । कूचा । उ॰—(क) बलवान है श्वान गली तेहि लाजे न गाल बजावत सो हैं ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—गली कूचों में कुत्ते लोटना—रौनक न रह जाना । उ॰—है है, अब यहाँ रह क्या गया, गली कूचों में कुते लोटते हैं ।—फिसाना॰, भा॰, १, पृ॰ ४ । गली गली भूँसते फिरना = व्यर्थ इधर उधर घूमना । उ॰—गली गली भूँसत फिरै टूक न डारै कोय ।—कबीर सा॰, सं॰, पृ॰ १७ । गली गलीं मारे मारे फिरना = (१) इधर उधर व्यर्थ घूमना । (२) जीविका के लिये इधर से उधर भटकना । (३) चारों और अधिकता से मिलना । सब जगह दिखाई पड़ना । साधारण वस्तु होना । जैसे,—ऐसे वैद्य गली गली मारे मारे फिरते है । गली झँकाना = इधर उधर हैरान करना । खोज में फिराना । जैसे,—तुमने हमें कितनी गलियाँ झँकाई । गली कमाना = (१) गली में झाड़ू देना । (२) मेहतर का काम करना । पाखाना साफ करना ।

२. महल्ला । महाल । जैसे,—कचौड़ी गली, सकरकंद गली ।