ताला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ताला ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तलक] लोहे, पीतल, आदि की वह कल जिसे बंद किवाड़, संदूक आदि की कुंडी में फँसा देने से किवाड़ या संदूक बिना कुंजी के नहीं खुल सकता । कपाट अवरुद्ध रखने का यंत्र । जंदरा । कुल्फ । क्रि॰ प्र॰—खुलना ।—खोलना ।—बंद होना ।—करना ।—लगना ।—लगानवा । यौ॰—ताला कुंजी । मुहा॰—ताला जकड़ना = ताला लगाकर बंद करना । ताला तोड़ना = किसी दूसरी के वस्तु को चुराने या लूटने के लिये उसके घर, संदूक आदि में लगे हुए ताले को तोड़ना । ताला भिड़ना । ताला बंद होना । ताला भेड़ना = ताला लगाना ।

ताला पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] ताल । उ॰—बिनहीं ताला ताल बजावे ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ १४० ।

ताला ^३ संज्ञा पुं॰ [अ॰ ताले] भाग्य । उ॰—मेरे ताले केरा आया सो एक भार । यकायक झाँककर देखे मुँज नार ।—दक्खिनी॰ पृ॰ २८२ ।

ताला ^४ संज्ञा पुं॰ [देश॰] उरस्राण । छाती का कवच । उ॰—तोरत रिपु ताले आले रुधिर पनाले चालत हैं ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ २७ ।

ताला पु † ^५ संज्ञा स्त्री॰ [?] देरी । उ॰—चाहे दुरग तकूँ तजि ताला ।—रा॰ रू॰, पृ॰ ३४४ ।