धनिया

विक्षनरी से
धनिया का पौधा

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धनिया ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ धन्याक, घनिका अथवा धनीयक] एक छोटा पौधा जिसके सुगंधित फल मसाले के काम में आते हैं । विशेष—यह पौधा हिंदुस्तान सें सर्वत्र बोया जाता है । प्राचीन काल में धनिया प्रायः भारतवषं ही से मिस्त्र आदि पश्चिम के देशों में जाता था पर अब उत्तरी अफ्रिका तथा रूस, हंगरी आदि योरप के कई देशो में इसकी खेती अधिक होने लगी है । धनिए का पौधा हाथ भर से बड़ा नहीं होता था । इसकी टहनियाँ बहुत नरम और लता की तरह लचीली होती हैं । पत्तियाँ बहुक छोटी और कुछ बोलाई लिए होती है पर उनमें टेढ़े मेढ़े तथा इधर उधर निकले हुए बहुत से कटाव होते हैं । इन पत्तियों की सुगंध बड़ी मनोहर होती है जिससे वे चटनी में हरी पीसकर डाली जाती हैं । टहनियों के छोर पर इधर उधर कई सींकें निकलती हैं जिनके सिरों पर छत्ते की तरह फैले हुए सफेद फूलों के गुच्छे लगते हैं । फूलों के झ़ड़ जाने पर गैहूँ से भी छोटे छोटे लंबातरे फल लगते हैं जो सुखाकर काम में लाए जाती हैं । भारतवर्ष में इसकी खेती भिन्न भिन्न प्रदेशों में भिन्न भिन्न ऋतुओं में होती है । जैसे, बगाल और उत्तरप्रदेश में जाड़े में, बंबई प्रदेश में बरसात में और मदरास में शिशिर ऋतु में । मसाले के अतिरिक्त योरप में धनिए का तेल भी भबके से अर्क निकालकर निकाला जाता है, जो खाने और दवा के काम में आता है । वैद्यक में धनिया शीतल, स्निग्ध, दीपन, पाचन, वीर्यकारक कृमिनाशक तथा पित्तज्वर, खाँसी, प्यास और दाह को दूर करनेवाला माना जाता है । डाक्टर लोग भी पेट की वायु दूर करने और शरीर में फुरती लाने के लिये इसका प्रयोग करते हैं । पर्या॰—धन्याक । धनिक । धानक । धनिका । छत्राधान्य । कुस्तुंबुरु । वितुन्नक । सुगंधि । सूक्ष्मपत्र । जनप्रिय । वेधक । वजिधान्य । मुहा॰—धनिए की खोपड़ी में पानी पिलाना = प्यासों मारना । बहुत कठिन दंड देना । बहुत तंग करना ।(स्त्रि॰) ।

धनिया पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ धनिका (=युवती)] युवती । बधू । स्त्री । उ॰—संहसानन गुन गनैं गनत न बनियाँ । सूर स्याम सू भूलीं गोप धनियोँ ।—सूर (शब्द॰) ।