परछाई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

परछाई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ प्रातिच्छाया]

१. प्रकाश के मार्ग में पड़नेवाले किसी पिंड का आकार जो प्रकाश से भिन्न दिशा की ओर छाया या अंधकार के रूप में पड़ता है । किसी वस्तु की आकृति के अनुरूप छाया जो प्रकाश के अवरोध के कारण पड़ती है । छायाकृति । जैसे,—लड़का दीवार पर अपनी परछाई देखकर डर गया । क्रि॰ प्र॰—पड़ना । मुहा॰—परछाई से डरना या भागाना = (१) बहुत डरना । अत्यंत भयभीत होना । (२) पास तक आने से डरना । (३) दूर रहने की इच्छा करना । कोई लगाव रखना न चाहना (घृणा या आशंका से) ।

२. जल, दर्पण आदि पर पड़ा हुआ किसी पदार्थ का पूरा प्रति- रूप । प्रतिबिंब । अक्स । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।