पीटना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पीटना † ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ पीडन]

१. किसी वस्तु पर चोट पहुँ- चाना । मारना । संयो क्रि॰—डालना ।—देना ।—लेना । मुहा॰—छाती पीटना = दुःख या शोक प्रकट करने के लिये छाती पर हाथ से आघात करना । किसी बात को पीटना = किसी बात या कार्य पर तीव्र दुःख प्रकाश करना । किसी बात को सोच सोचकर दुःखित होना । हाय हाय करना । सिर धुनना । (स्त्रि॰) । किसी व्यक्ति को या के लिये पीटना = किसी व्यक्ति की मृत्यु का शोक करना । किसी के मरने पर छाती पीटना मातम करना । उ॰— आँख फूटे जो भर नजर देखे । मुझको पीटे अगर इधर देखे ।— एक उर्दू कवि (शब्द॰) ।

२. आघात पहुँचाकर किसी वस्तु को फैलाना या बढ़ाना । चोट से चिपटा या चौड़ा करना । जैसे, पत्तर पीटना । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।—लेना ।

३. किसी जीवधारी पर आघात करना । किसी के शरीर को चोट अथवा पीड़ा पहुँचाना । मारना । प्रहार करना । ठोंकना । जैसे,— आज तुमने भारी अपराध किया है, तुम्हारे बास तुम्हें अवश्य पीटेंगे । संयो॰ क्रि॰—डालना ।

४. किसी न किसी प्रकार कर डालना या कर लेना । भले या बुरे प्रकार से कर डालना । येन केन प्रकारण किसी काम को समाप्त या संपन्न कर लेना । निबटा देना । जैसे,— शाम तक इस काम को अवश्य पीट डालूँगा । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।

५. किसी न किसी प्रकार प्राप्त कर लेना । येन केन प्रकारेण उपार्जित करना । फटकार लेना । जैसे,— शाम तक चार रुपए पीट लेता हूँ । संयो॰ क्रि॰—लेना ।

पीटना ^३ संज्ञा पुं॰

१. मृत्युशोक । मातम । पिट्टस । जैसे,—यहाँ यह कैसा पीटना पड़ा हुआ है ।

२. आपद् । मुसीबत । आफत ।