पोर्ट

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पोर्ट संज्ञा पुं॰ [पुर्त॰ पोर्टो]

१. अंगूर से बनी हुई एक प्रकार की शराब । विशेष—यह भभके से नहीं चुआई जाती, अंगूर के रस को धूप में सडा़कर बनाई जाती है । इसमें मादकता नाम मात्र की होती है, इससे इसका सेवन पुष्टई के रूप में लोग करते हैं । इसे द्राक्षासव कह सकते हैं ।

२. समुद्र या नदी के किनारे वह स्थान जहाँ जहाज माल उता- रने या लादने या मुसाफिर उतारने या चढा़ने के लिये बराबर आकर ठहरते हैं । बंदर । बंदरगाह । जैसे, कलकत्ता पौर्ठ ।

३. समुद्र के किनारे, खाडी़ या नदी के मुहाने पर बना हुआ या प्राकृतिक स्थान जहाँ जहाज तूफान से अपनी रक्षा कर सकते हैं ।