बेतुका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बेतुका वि॰ [फ़ा॰ बे + हिं॰ तुका]

१. जिसमें सामंजस्य न हो बेमेल । मुहा॰—बेतुकी उड़ाना = दे॰ 'बेतुकी हाँकना' । उ॰—बेतुकी उड़ाना खूब जानते हैं । जवाब नहीं सूझता ।—फिसाना॰, भा॰ १, पृ॰ १० । बेतुकी हाँकना = बेढ़गी बातें कहना । ऐसी बात कहना जिसका कोई सिर पैर न हो ।

२. जो अवसर कुअवसर का ध्यान न रखता हो । बेढ़गा । जैसे,— बह बड़ा बेतुका है, उसको मुँह नहीं लगाना चाहिए । मुहा॰—बेतुकी बकना = अनवसर की बात करना । उ॰— आका क्या बेतुकी बकता है ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १४ ।