मत्स्य

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मत्स्य

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मत्स्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मछली ।

२. प्राचीन विराट देश का नाम । विशेष—कुछ लोगों का मत है कि वर्तमान दीनाजपुर और रगपुर ही प्राचीन काल का मत्स्य देश है; और कुछ लोग इसे प्राचीन पांचाल के अंतर्गत मानते हैं ।

३. छप्पय छंद के २३ वें भेद का नाम ।

४. नारायण ।

५. बारहवीं राशि । मीन राशि ।

६. अठारह पुराणों में से एक जो महापुराण माना जाता है । कहते हैं, जब विष्णु भगवान् ने मत्स्य अवतार धारण किया था, तब यह पुराण कहा था ।

७. विष्णु के दस अवतारों में से पहला अवतार । कहते हैं, यह अवतार सतयुग में हुआ था । इसका नीचे का अंग रोहू मछली के समान, और रंग श्याम था । इसके सिर पर सींग थे, चार हाथ थे, छाती पर लक्ष्मी थीं और सारे शरीर में कमल के चिह्न थे । विशेष—महाभारत में लिखा है कि प्राचीन काल में विवस्वान् के पुत्र वैवस्वत मनु बहुत ही प्रसिद्ध और बडे तपस्वी थे । एक बार एक छोटी मछली ने आकर उनसे कहा कि मुझे बड़ी बड़ी मछलियाँ बहुत सताती हैं; आप उनसे मेरी रक्षा कीजिए । मनु ने उसे एक घड़े में रख दिया और वह दिन दिन बढ़ने लगी । जब वह बहुत बढ़ गई, तब मनु ने उसे एक कूएँ मनें छोड़ दिया । जब वह और बड़ी हुई, तब उन्होने उसे गंगा में छोड़ा, और अंत में उसे वहाँ से भ ी निकालकर समुद्र में छोड़ दिया । समुद्र में पहुँचते ही उस मछली ने हँसते हुए कहाँ कि शीघ्र ही प्रलयकाल अनेवाला है । इसलिये आप एक अच्छी और द्दढ़ नाव बनवा लीजिए और सप्तर्षियों सहित उसीपर सवार हो जाइए । सब चीजों के बीज भी अपने पास रख लीजिएगा; और उसी नाव पर मेरी प्रतीक्षा कीजिएगा । वैवस्वत मनु ने ऐसा ही किया । जब प्रलयकाल आया और सारा संसार जलमग्न हो गया, तब वह विशाल मछली उन्हें दिखाई दी । उन्होंने अपनी नाव उस मछली के सींग से बाँध दी । कुछ दिनों बाद वह मछली उस नाव को खींचकर हिमालय के सबसे उँचे शिखर पर ले गई । वहाँ वेवस्वत मनु और सप्रर्षियों ने उस मछली के कहने से अपनी नाव उस शिखर में बाँध दी । इसी लिये वह शिखर अब तक 'नौबंधन' कहलाता है । उस समय उस मछली ने कहा कि में स्वयं प्रजापति ब्रह्मा हूँ । मैने तुम लोगों की रक्षा करने और संसार की फीर से सृष्टि करने के लिये मत्स्य का अवतार धारण किया है । अब यही मनु फिर से सारे संसार की सृष्टि करेंगे । यह कहकर वह मछली वहीं अंतर्धान हो गई । मत्स्य पुराण में लिखा है कि प्राचीन काल में मनु नामक एक राजा ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा से वर पाया कि जब महाप्रलय हो, तब मैं ही फिर से सारी सृष्टि की रचना करूँ । और तब प्रलय काल आने से कुछ पहने विष्णु उत्त्क प्रकार से मछली का रूप धरकर उनके पास आए थे । इसी प्रकार भगवत आदि पुराणों में भी इससे मिलती जुलती अथवा भित्र कई कथाएँ पाई जाती हैं ।

८. पुराणनुसार सुनहरे रंग की एक प्रकार की शिला जिसका पूजन करने से मुक्ति होती है ।

९. मत्स्य देश का राजा ।