महीन

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

महीन ^१ वि॰ [सं॰ महा+झीन (सं॰ क्षीण)]

१. जिसकी मोटाई मा घेरा बहुत ही कम हो । 'मोटा' का उल्टा । पतला । सूक्ष्म । जैसे, महीन नागा, महीन तार, महीन सुई, आदि ।

२. जिसके दोनों ओर के तलों के वीच बहुत कम अतर हो । जो बहुत कम मोटा हो । बारीक । झीना । पतला । जैसै, महीन कपड़ा, महीन कागज, महीन छाल । उ॰—दास मनीहर आनन वाल को दीपित जाकी दिरैं सब दीपै । श्रौन सुहाये । वराजि रहे मुकुताहल संयुत ताहि समीपै । सारी महोन सी लीन बिलोकि विचारत है कवि के अवनीपै । सादर जानस साही मिलो सुन संग । लिए मनो सिधु की सीपैं ।— मनोहरदास (शब्द॰) । मुहा॰—महीन काम=वह काम जिसके करने में बहुत सावधानी और आँख गड़नि का आबश्यकता पड़ती हो । जैसे, सीना, चित्रकारी, सूची कर्म आदि ।

३. जो बहुत कम या ऊचा या तेज न हो । कोमल । धीमा । मंद । विशेष—इस अर्थ में यह शब्द प्रायः शब्द या स्वर के लिये ही आता है ।

महीन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] राजा ।