शैतान

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

शैतान संज्ञा पुं॰ [अ॰]

१. ईश्वर के समान सन्मार्ग का विरोध करनेवाली शक्ति या देवता । तमोगुणमय देवता जो मनुष्यों को बहकाकर धर्ममार्ग से भ्रष्ठ करने के प्रयत्न में रहा करता है । विशेष—यहूदी, ईसाई और इसलाम तीनों पैगंबरी मतों में दो परस्पर विरुद्ध शक्तियाँ मानी गई हैं-एक सत् दूसरी असत् । सत्स्वरूप ईश्वर के मंगलविधान में, असत् शक्ति सदा विघ्न डालने में तत्पर रहती है । आदि पैगंबर मूसा ने 'तौरेत' में लिखा है के पहले आदम और हौवा ईश्वर की आज्ञा में रहकर बड़े आनंद से स्वर्ग के उद्यान में रहा करते थे । शैतान ने हौवा को बहकाकर ज्ञान का वह फल खाने के लिये कहा जिसका ईश्वर ने निषेध किया था । इस अपराध पर आदम और हौवा स्वर्ग से निकाल दिए गए और इस पृथ्वी पर आए । इन्हीं से यह मनुष्यसृष्टि चली । ऐसा लिखा है कि शैतान भी पहले ईश्वर या खुदा का एक फरिश्ता (पारिषद) था । जब ईश्वर ने आदम या मनुष्य उत्पन्न किया तब वह ईर्ष्यावश ईश्वर से विद्रीही हो गया और उसकी सृष्टि में उत्पात करने लगा । ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकालकर नरक में भेज दिया जहाँ का वह राजा हुआ । सत् और असत् इन दो नित्य शक्तियों की भावना यहूदियों के पैगंबर मूसा को खाल्दियों (बाबुलवालों) और पारसीकों आदि प्राचीत सभ्य जातियों से मिली थी । जरतुश्त ने भी अवस्ता में अहुरमज्द (सत् शक्ति) और अह्नमान (असत् शक्ति) दो शक्तियाँ कही हैं । मुहा॰—शैतान का कान में फूँकना = शैतान का बहकाना । शैतान का धक्का = दुवृत्ति । बुरी प्ररण । शैतान का बच्चा = बहुत दुष्ट आदमा । शंतान की आँत = बहुत लंबी वस्तु । शैतान की खाला = बहुत दुष्ट या पाजी औरत । (गाली) । शैतान की सूरत = अघ रूप । राक्षस की आकृति का ।

२. दुष्ट देवयोनि । भूत । प्रेत । मुहा॰—शैतान उतरना = (१) भूतप्रेतादि का आवेश शांत होना । (२) क्रोधावेश दूर होना । (३) शरारतीपन न रहना । शैतान चढ़ना या लगना = (१) भूत प्रेत का आवेश होना । प्रेत का भाव पड़ना । (२) क्रोधावेश से आगबबूला हो जाना । शैतान का कान काटना = शैतान से भी बढ़ जाना । (सिर पर) शैता न सवार होना । (१) किसी का अत्यंत क्रुद्ध होना । (१) किसी बात की हठ पकड़ना । जिद चढ़ना । (३) शैतानी करना । यौ॰—शैतानसीरत = शैतान की प्रकृतिवाला । महादुष्ट । शैतान सूरत = शैतान की आकृति का । ड़रावना ।

३. बहुत ही दुष्ट या क्रूर मनुष्य । घोर अत्याचारी । ( लाक्षणिक) ।

४. बहुत ही नटखट मनुष्य । बहुत शरारती आदमी । (लाक्षाणिक) ।

५. क्रोध । तामस । गुस्सा ।

६. झगड़ा । टंटा । फसाद । उपद्रव । मुहा॰—शैतान उठाना = झगड़ा खड़ा करना । उपद्रव मचाना ।