सदस्य वार्ता:कैलाश बड़गूजर

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सत साहिब जी: सब को नमस्कार और सत साहिब जी,

144!! नां हम साधू नहीं गृहस्ती।

    		 नहीं दोज़ख़ी नहीं बहिशती।1।।144!! 

हम हैं उस साहिब के बंदे। शरण पड़े छुटे सभ धंदे।2। हम हैं उस साहिब के जाये। शरण पड़े बहुतक सुख पाये।3। हम हैं उस साहिब की अंशा। अलख निरंजन हमरा़ वंशा।4। ईशरदास गुर ज्ञान बतलाया। अपना रूप समझ तब आया।5।।144!!

112!! बारां मास भजन कर बंदे।।112!! चेत चलो उस देश दिवाने, जहां अनहद नाद बजन्दे।1। बैशाख बुझेगी तपत तुम्हारी, पीवो अमृत जल बरसन्दे।2। जेठ जीत गये जग की बाजी, जो सोहंग जाप जपन्दे।3। हाड़ हार गये जनम अमोलक, कर रहे करम जो मंदे।4। सावन सुरत शबद से मेलो, कट जायें करम के फंदे।5। भादौं भृकुटी आगे देखो, जहां चंद-सूरज चमकन्दे।6। आस्सू आसन सुन्न मैं मारो, फिर देखो रंग बिरंगे।7। कातिक कायां पिंजरा खोटा, फंस गये जीव येह अंधे।8। मघ्घर मुकत पदारथ पावन, जो आतम दरश करन्दे।9। पोह पाप पुन्न रिहा ना कोर्इ, जो मिल गये गुरू बखशन्दे।10। माघ मगन हो बैठे मन में, जो अनहद शबद सुनन्दे।11। फ़ागण फ़ाग हुमेषां उनके, जो गुरू की शरण रहन्दे।12। ईशरदास सच नाम कुमावो, सब झूठे जग के धंधे।13।।112!!

128!! भगतां ने भाणा मन्निया, दुनियां मर गर्इ दुखां दे हावे।।128!! बस्तु परार्इ को अपनी समझे, मैं मेरी मैं दुख पावे।1। जिसकी बस्तु तिस ही को सौंपे, फेर दुख निकट नां आवे।2। जो कुछ करे भला कर मानें, येह सतगुर बात बतावे।3। अपनां किया कछु नां होवे, बंदा नाहक जोर लगावे।4। रज़ा मान मिल गऐ साहिब से, नहीं भटक भटक मर जावे।5। गुर शक्ति की करे जो पूजा, ओह खता कदी ना खावे।6। ईशरदास रज़ा पर राज़ी, होवे जो साहिब नूं भावे।7।।128!!

151!! बाणी पढना बाण है,

	नाहक है बकवास।1।।151!! 

रमज़ नां जाने र्इष्क की, जा के सतगुर पास।2। जा के सतगुर पास छट लाह गेरें अंधे।3। नित उठ तड़के मगज़ खपावें, फंस गये हैं विच धंदे।4। कहें ईशरदास जिन्हां ने रमज़ र्इष्क दी जानी।5। रहें नाम में मस्त भूल गये वेद और बाणी।6।।151!!

नमस्ते और सत साहिब जी.