हँसी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हँसी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ हँसना]

१. हँसने की क्रिया या भाव । हास । उ॰—बरजा पितै हँसी औ राजु ।—जायसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना । यौ॰—हँसी खुशी = प्रसन्नता । हँसी ठट्ठा = आनंदक्रीड़ा । मजाक । मुहा॰—हँसी छूटना = हँसी आना । हास की मुद्रा प्रकट होना ।

२. हँसने हँसाने के लिये की हुई बात । मजाक । दिल्लगी । मनोरंजन । विनोद । जैसे,—तुम तो हँसी हँसी में रोने लगते हो । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । यौ॰—हँसी खेल = (१) विनोद और क्रीड़ा । (२) साधारण बात । सहज बात । आसान वाध । हँसी ठठोली = विनोद और हास । दिल्लगी । मुहा॰—हँसी समझना या हँसी खेल समझना = साधारण बात समझना । आसान बात समझना । कठिन न समझना । जैसे— लीडर बनना क्या हँसी खेल समझ रखा है ? हँसी में उड़ाना = किसी बात को यों ही दिल्लगी समझकर ध्यान न देना । साधारण समझकर ख्याल न करना । परिहास की बात कहकर टाल देना । हँसी में ले जाना = किसी बात को मजाक समझना । किसी बात का ऐसा अर्थ समझना मानो वह ध्यान देने के नहीं है, केवल मनबहलाव की है । जैसे,—तुम तो मेरी बात हँसी में ले जाते हो । हँसी में खाँसी = दिल्लगी की बात- चीत होते होते झगड़ा या मारपीट की नौबत आना ।

३. किसी व्यक्ति को मूर्ख या किसी वस्तु को तुच्छ ठहराने के लिये कही