हठधर्मी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हठधर्मी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ हठ + धर्म + ई (प्रत्य॰)]

१. सत्य असत्य, उचित अनुचित का विचार छोड़कर अपनी बात पर जमे रहना । दूसरे की बात जरा भी न मानना । दुराग्रह ।

२. अपने मत या संप्रदाय की बात लेकर अड़ने की क्रिया या प्रवृत्ति । विचारों की संकीर्णता । कट्टरपन । जैसे,—यह मुसलमानों की हठधर्मी है कि वे व्यर्थ छेड़छाड़ करते हैं ।