हरा

विक्षनरी से

हिन्दी

हरा

संज्ञा

पु.

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विशेषण

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

हरा ^१ वि॰ [सं॰ हरित, प्रा॰ हरिअ] [वि॰ स्त्री॰ हरी]

१. घास या पत्ती के रंग का । हरित । सब्ज । जैसे, —हरा कपड़ा, हरी पत्ती । यौ॰ —हरामन । हराभरा=(१) हरीतिमा या हरियाली से भरा हुआ । (२) सद्यः प्रसुत । ताजा । टटका । (३) खिला हुआ । प्रसन्न । प्रफुल्ल । विकसित । जैसे —हरा भरा चेहरा ।

२. प्रफुल्ल । प्रसन्न । ताजा । जैसे, —(क) नहाने से जी हरा हो गया । (ख) माँ बेटे को देख हरी हो गई । (ग) हरा भरा चेहरा । क्रि॰ प्र॰ —करना ।—होना ।

३. जो मुरझाया न हो । सजीव । ताजा । जैसे, —पानी देने से पौधे हरे हो गए ।

४. (घाव) जो सुखा या भरा न हो । जैसे — घाव लगने से धाव फिर हरा हो गया ।

५. दाना या फल जो पका न ही । जैसे—हरा दाना, हरे अमरुद, हरे बूट । मुहा॰—हरा करना=तरो ताजा करना । खुश कर देना । हरा दिखाई पड़ना या सुझना=झूठी आशा करना । व्यर्थ की कल्पना करना । हरा बाग=केवल अभी लुभानेवाली पर पीछ कुछ न ठहरनेवाली बात । व्यर्थ आशा बँधानेवाली बात । हरा भरा=(१) जो हरे पेड़ पौधों और घाल आदि से भरा हो । (३) जो बाल बच्चों से भरी पूरी हो । जिसकी गोद में शिशु किलकते हों । जैसे,—तेरी गोद हरी भरी रहे । हरे में आँखें होना या फूलना=हरियाली सूझना । मन बढ़ा रहना और आगम का ध्यान न रहना ।

हरा ^२ संज्ञा पुं॰

१. घास या पत्ती का सा रंग । हरित वर्ण । जैसे,— नीला और पीला मिलाने से हरा बन जाता है ।

२. चौपायों को खिलाने का ताजा चारा ।

हरा पु ‡ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हार] हार । माला । उ॰—(क) अपने कर मोतिन गुह्मो भयो हरा हरहार ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) कुच दुंदन को पहिराय हरा मुख सोँधी सुरा महकावति है—श्रीधर पाठक (शब्द॰) ।

हरा ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] हर या महादेव की स्त्री पार्वती ।

हरा ^५ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हरित] हरे रंग का घोड़ा । सब्जा । उ॰— हरे कुरंग महुअ बहु भाँती । गरर कोकाह बुलाह सुपाँती ।—जायसी (शब्द॰) ।

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