अँकवार

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अँकवार संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अङ्कपालि, अङ्कमाल,प्रा॰ अंकवालि, अंकवाल]

१. गोद । अंक ।

२. छाती । वक्षस्थल । मुहा॰—देना = गले लगाना । छाती से लगना । आलिंगन करना । भेंटना ।—भरना = आलिंगन करना । भेंटना । गलें मिलना । उ॰— बनमाला पहिरावत स्यामहि बार बार अँकवार भरत धरि ।— सूर॰ १० । ४०९ ।—भरी होना=गोंद में बच्चा रहना । संतानयुक्त होना । उ॰— बहु तुह्मारी अँकवार भरी रहे, (आशीर्वाद) (शब्द॰) ।

३. आलिंगन । भेंट । मिलना । जैसे—चिट्ठी में हमारी भेंट अँकवार लिख देना ।— (शब्द॰) ।

अँकवार । उ॰— दृग मिहचत मृगलोचनी भरयौ उलटि भुजबाथ । जानि गई तिय नाथ के हाथ परस ही हाथ ।—बिहारी (शब्द॰) । मुहा॰— बाथ भरना=लिपटना । आलिंगन करना । उ॰— विन हाथन सब बाथ भरि, तन मन लीए जाय ।—व्रज॰ ग्र॰, पृ॰ ५१ ।

२. दोनों भुजाओँ का घेरा । करपाश । उ॰— इत सामंतन नाथ बाथ बड़वानल घल्लन ।—पृ॰ रा॰, ७ ।२० ।

३. छाती । वक्ष ।

४. भुजा । बाहु । कर । उ॰—और अमरेस गहै आसमान बाथूँ ।—रा॰ रू॰, पृ॰ १२० ।