अकरण
हिन्दी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अकरण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कर्म का न किए हुए के समान होना । कर्म का फल रहित होना । कर्म का अभाव । विशेष—सांख्य के अनुसार सम्यक् ज्ञानप्राप्ति हो जाने पर फिर कर्म अकरण अर्थात् बिना किए हुए के समान जाते है और उनका कुछ फल नहीं होता ।
२. इंद्रियों से रहित । ईश्वर । परमात्मा ।
अकरण ^२ वि॰
१. न करने योग्य । कठिन ।
२. इंद्रियरहित [को॰] ।
अकरण ^३ पु वि॰ [सं॰ अकारण] बिना कारण । अकारण बेसबब ।