अचेत

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अचेत ^१ वि॰ [सं॰]

१. चेतनारहित । संज्ञाशून्य । बैसुध । बैहोश । मूर्च्छित ।

२. व्याकुल । विह्वल । विकल । उ॰—भी यह ऐसोई समौ, जहाँ सुखद दुखु देत । चैत चाँद की चाँदनी डारति किए अचेत ।—बिहारी र॰, दो॰ ५१९ ।

३. असावधान बेपरवाह । उ॰—यह तन हरियर खेत, तरुनी हरिनी चर गई । अजहुँ चेत अचेत, यह अधचरा बचाइ ले ।—सम्मन (शब्द॰) ।

४. अनजान । बेखबर । उ॰—वृंदावन की वीथिन तकि तकि रहत गुमान समेत । इन बातन पति पावत मोहन जानन होहु अचेत ।—सूर (शब्द॰) ।

५. नासमझ । मूढ । उ॰—मैं पुनि निज गुरु सन सुनी, कथा सु सूकरखेत । समुझी नहीँ तसु बालपन तब आति रहेउँ अचेत ।—तुलसी (शब्द॰) । पु

६. जड़ । उ॰—(क) असन अचेत पखान प्रगट लै बनचर जल महँ डारत ।—सूर (शब्द॰) । (ख) कामातुर होत है सदा हीं मतिहीन तिन्हैं चेत औ अचेत माँह भेद कहाँ पावैगो ।—लक्ष्मणसिंह (शब्द॰) ।

अचेत ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अचित्]

१. जड़ प्रकृति । जड़त्व ।

२. माया । अज्ञान । उ॰—कह लौं कहौं अचेते गयऊ । चेत अचेत झगर थर भयऊ ।—कबीर (शब्द॰) ।