आकर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आकर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं]

१. खानि । उत्पत्तिस्थान । उ॰—सदा- सुमन- फल सहित सब, द्रुम नव नाना जाति । प्रगटी सुंदर सैल पर, मनि आकर बहु भाँति ।— मानस,१ ।६५ ।

२. खजाना । भांड़ार । यौ॰—गुणाकर । कमलाकर । कुसुमाकर । करूणाकर । रत्नाकर ।

३. भेद । किस्म । जाति । उ॰—आकार चारि लाख चौरासी जाति जीव जल थल न भवासी । —मानस, १ ।८ ।

४. तलवार के बत्तीस हायों में से एक । तलवार चलाने का एक भेद ।

आकर ^२ वि॰

१. श्रेष्ट । उत्तम ।

२. आधिक । उ॰ — चंपा प्रीति जो तेल है, दिन दिन आकर बास । गलि गलि आप हेराय जो, मुए न छाँड़ै पास । — जायसी (शब्द॰) ।

३. गणित । गुणा । जैसे, पाँच आकर, दस आकर । उ॰— अस भा सूर पुरूष निरमरा । सूर जाहि दस आकर करा । — जायसी (शब्द॰) ।

४. दक्ष । कुशल । व्युत्पन्न ।