आछा पु वि॰ [हिं॰] दे॰ 'अच्छा' । उ॰—हरि आवत गाइनि के पाछे । मोर मुकुट मकराकृत कुंडल नैन बिसाल कमल तैं आछे ।—सूर॰, १० ।५०७ ।