आल्हा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आल्हा संज्ञा पुं॰[ देश.] १० ३१ मात्रओं के एक छंद का नाम जिसे वीर छंद भी कहते हैं । इसमें १६ मात्राओं पर विराम होता है । जैसे, — सुमिरि भवानी जगदंबा कौ श्री सारद के चरन मनाय । आदि सरस्वति तुमका ध्यावें माता कंठ बिराजौ आय ।
२. महोबे का एक काल्पनिक पुरूष का नाम जो पृथ्वीराज के समय में था ।
३. बहुत लंबा चौड़ा वर्णन । मुहा॰— आल्हा गाना = अपना वृत्तांत सुनाना । आपबीती सुनाना । यौ॰— आल्हा का पँवरा = व्यर्थ का चौड़ा वर्ण । वितंड़ाबाद ।