उँगली

विक्षनरी से

संज्ञा स्त्रीलिंग

  1. अंगुलि
  2. अंगुलिका
  3. अंगुश्त

प्रयोग

संबंधित शब्द

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

उँगली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अङ्गुलि] हथेली के छोरों से निकले हुए फलियों के आकार के पाँच अवयव जो वस्तुओं को ग्रहण करते हैं और जिनके छोरों पर स्पर्शज्ञान की शक्ति अधिक होती है । उँगालियों की गणना अंगुष्ठ से आरंभ करते हैं । अंगुष्ठ के उपरांत तर्जनी, फिर मध्यमा, फिर अनामिका और अंत में कनिष्टिका है । अनामिका इन पाँचों उँगलियों में निर्बल होती है । मुहा॰—(पाँचों) उँगलियाँ घी में होना = सब प्रकार से लाभ ही लाभ होना । जैसे—तुम्हारा क्या, तुम्हारी तो पाँचों उँगलियाँ घी में हैं । उंगलियाँ चमकाना = बातचीत या लड़ाई करते समय हाथ और उँगलियों को हिलाना या मटकाना । विशेष—यह विशेषकर स्त्रियों और जनखों की मुद्रा है ।

उँगली दिखाना धमकाना । डराना । उ॰—जो तुम्हें उँगली दिखाए मैं उसकी आँखे निकलवा लूँ । (हलक में) उँगली देकर (माल) निकालना = बड़ी छानबीन और कड़ाई के साथ किसी हजम की हुई वस्तु को प्राप्त करना । जैसे—वे रुपए मिलनेवाले नहीं थे; मैंने हलक में उँगली देकर उन्हें निकाला । (कानों में, उँगली देना—किसी बात से विरक्त या उदासीन होकर उसकी चर्चा बचाना । किसी विषय को न सुनने का प्रयत्न करना । अनसुनी करना । जैसे—हमने तो अब कानों में उँगली दे ली है, जो चाहे सो हो । (दाँतो में) उँगली देना या दबाना, दाँत तले उँगली दबाना = चकित होना । अचंभे में आना । जैसे—उस लड़के का साहस देख लोग दाँतों में उँगली दबाकर रह गए । उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना = किसी व्याक्ति से किसी वस्तु का थोड़ा सा भाग पाकर साहस- पूर्वक उसकी सारी वस्तु पर अधिकार जमाना । थोड़ा सा सहारा पाकर विशेष की प्राप्ति के लेये उत्साहित होना । जैसे—मैंने तुम्हें बरामदे में जगह दी अब तुम कोठरी में भी अपना असबाब फैला रहे हो । भाई, उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना ठीक नहीं । उंगली पर पहाड़ उठाना = असंभव कार्य कर दिखाना । उ॰—सिर उठाना उन्हें पहाड़ हुआ । जो उठाते पहाड़ उँगली पर । ।—चुभते॰, पृ॰ २५ । (किसी कूति पर) उँगली रखना = दोष दिखलाना । ऐब निकालना । जैसे—भला आपकी कविता पर कोई उँगली रख सकता है । उँगली लगाना = (१) छूना । जैसे—खबरदार, इस तसवीर पर उँगली मत लगाना । (२) किसी कार्य में हाथ लगाना । किसी कार्य में थोड़ा भी परिश्रम करना । जैसे—उन्होंने इस काम में उंगली भी न लगाई पर नाम उन्हीं का हुआ ।