उकसना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
उकसना क्रि॰ अ॰ [सं॰ उत्कषण]
१. उमरना । ऊपर को उठना । उ॰—(क) पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलाई ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सेज सों उकसि बाम स्याम सों लपटि गई होति रति रीति विपरीति रस तार की ।—रघुनाथ (शाब्द॰)
२. निकलना । अंकुरित होना । उ॰—लाग्यो आनि नवेलियहिं मनसिज बान । उकसन लाग उरोजवा, दूग तिरछान । ।— रहीम (शब्द॰) ।
३. सीवन का खुलना । उधड़ना ।
४. दूसरे के द्वारा प्रेरित होना (को॰) ।