उग्गाहा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उग्गाहा संज्ञा पुं॰ [सं॰ उदगाथा, प्रा॰ उग्गाहा] आर्या छंद के भेदों में से एक । इसका दूसरा नाम गीति भी है । इसके विषम चरणों में १२—१२ मात्राएँ और सम चरणों में १८—१८ मात्राएँ होती हैं । विषम गणों में जगण न होना चाहिए । उ॰—रामा रामा रामा, आठो जामा जपौ यही नामा । त्यागो सारे कामा पैहौ अंतै हरी जु को धामा (शब्द॰) ।