उचका पु क्रि॰ वि॰ [हिं॰ औचक या अचाका] अचानक । सहसा । उ॰—ज्यों हरनिन की होत हँकाई, उचका उठै बाघ बिरझाई ।—लाल (शब्द॰) ।