उचना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उचना ^१पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ उच्च से नामिक धातु]

१. ऊँचा होना । ऊपर उठना । उचकना । उ॰—अँगुरिन उचि, भरु भीति दै, उलमि चितै चख लोल, रुचि सों दुहूँ दुहूँनु के चूमे चारु कपोल ।—बिहारी र॰, दो॰ ५०५ ।

२. उठना । उ॰—(क) इतर नृपति जिहि उचत निकट करि देत न मूठ रिती ।—सूर॰ (शब्द॰) । (ख) औचक ही उचि ऐंचि लई गहि गोरे बड़े कर कोर उचाइकै ।—देव (शब्द॰) ।

उचना ^२ क्रि॰ स॰ [सं॰ उच्च] ऊँचा करना । ऊपर उठाना । उठाना । उ॰—(क) हँसि ओठनु बिच, करु उचै, कियै निचौहैं नैन, खरैं अरैं प्रिय कैं प्रिया लगी बिरी मुख दैन ।....बिहारी र॰, दो॰ ६२७ । (ख) भौंह उचै आँचर उलटि मोरि मोरि मुहँ मोरि । नीठि नीठि भीतर गई दीठि दीठि सों जोरि ।—बिहारी (शब्द॰) ।