उचरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उचरना ^१पु क्रि॰ स॰ [सं॰ उच्चारण] उच्चारण करना । बोलना । मुँह से शब्द निकालना । उ॰—चढ़ि गिरि शिखर शब्द इक उचरयो गगन उठ्यो आघात, कंपत कमठ शेष बसुधा नभ रवि- रथ भयो उतपात ।—सूर॰ (शब्द॰) ।

उचरना ^२ क्रि॰ अ॰

१. शब्द होना । मुँह से शब्द निकालना ।

उचरना ^३ क्रि॰ अ॰ [हिं॰] दे॰ 'उचड़ना' ।

उचरना ^४पु † क्रि॰ अ॰ [हिं॰] दे॰ 'उछलना' । उ॰—आँषु धरन हित दुष्ट मँजारी, मो परि उचरि परी दइमारी ।—नंद॰ ग्रं॰ पृ॰ १४८ ।

उचरना ^२ क्रि॰ स॰ [सं॰ उच्चाटन] उखाड़ना । नोचना । उ॰— (क) वृक्ष उचारि पेड़ि सों लीन्ही । मस्तक झार तार मुख दीन्ही ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) ऋषी क्रोध करि जटा उचारी । सो कृत्या भइ ज्वाला भारी ।—सूर (शब्द॰) ।