उचाना

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उचाना पु † क्रि॰ स॰ [हिं॰]

१. उठाना । 'उँचाना' । उ॰—मोहन मोहनी रस भरे । .....दरकि कंचुकि, तरकि माला, रही धरणी जाइ । सूर प्रभु करि निरखि करुणा तुरत लई उचाइ ।—सूर (शब्द॰) ।

२. ऊपर उठना । ऊँचा करना । उ॰—सुनि यह श्याम बिरह भरे । सखिन तब भुज गहि उचाए बावरे कत होत । सूर प्रभि तुम चतुर मोहन मिलो अपने गोत ।—सूर (शब्द॰) ।