ऊर्ज
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
ऊर्ज ^१ वि॰ [सं॰ उर्जस्, ऊर्ज:] बलवान । शक्तिमान । बली ।
ऊर्ज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ ] [वि॰ ऊर्जस्वल, ऊर्जस्वी]
१. बल । शक्ति ।
२. कार्तिक मास ।
३. एक काव्यालंकार जिसमें सहायकों के घटने पर भा अहंकार का न छोड़ ना वर्णन किया जाता है । उ॰—को बपुरा जो मिल्यो है विभीषण ह्वै कुल दूषण् जीवैगो कौ लौं । कुंभ करन्न मरयो मघवा रिपु तौऊ कहा म डरों चम सौं लौं । श्री रघुनाथ के गातन सुंदरि जानहु तू कुशलात न तौ लौं । शाल सबै दिगपालन को कर रावण के करवास है जौ लौ । (इसमें भाई और पुत्र के न रहने पर भी रावण अंहकार नहीं छोड़ता) । —केशव (शब्द॰) ।
४. अन्न का सार- भूत रस (को॰) ।
५. पानी (को॰) ।
६. आहार । भोजन (को॰) ।
७. जीवन (को॰) ।
८. श्वास (को॰) ।
९. प्रयत्न । उद्योग (को॰) ।
१०. उत्साह (को॰) ।
११. प्रजनन शक्ति (को॰) ।