ओला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ओला ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ उपल] गिरते हुए मेह के जमे हुए गोले । पत्थर । बिनौली । इंद्रोपल । उ॰—पाला कहीं, ओले कहीं, लगता कहीं कुछ रोग है ।—भारत॰, पृ॰ ६४ । विशेष—इन गोलों के बीच में बर्फ की कड़ी गुठली सी होती है जिसकी ऊपर मुलायम बर्फ की तह होती है । पत्थर कई आकार के गिरते हैं । पत्थर पड़ने का समय प्रायः शिशिर और बसंत है । क्रि॰ प्र॰—गिरना ।—पड़ना । उ॰—गड़गड़ाहट बढने लगी, ओला पड़ने की संभावना थी ।—आँधी, पृ॰ ११८ ।

ओला ^२ वि॰

१. ओले के ऐसा ठंड़ा । बहुत सर्द ।

२. मिस्त्री का बना हुआ लड़डू जिसे गरमी में ठंडक के लिये घोलकर पीते हैं ।

ओला ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] काँगड़ा जिले में होनेवाला एक प्रकार का बबूल जिसकी लकड़ी से खेती के औजार बनते हैं ।

ओला ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ओल]

१. परदा । ओट ।

२. भेद । गुप्त बात ।

ओला ^५ प्रत्य॰ [हिं॰] हिंदी का एक प्रत्यय जो कतिपय शब्दो के अंत में लगकर किसी वस्तु के लघु रूप का बोधक होता है । जैसे, आम से अमोला ।