कंजावलि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कंजावलि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में भगण, नगम और दो जगण और एक लघु (भ न ज ज ल) होता है । इसे पंकजवाटिका और एकावली भी कहते हैं । उ॰—भानुज जल महँ आय परे जब । कंजअवलि विकसै सर में तब । त्यों रघुबर पुर आय गए तब । नारिरु नर प्रमुदे लखिके सब (शब्द॰) ।