कड़ाका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कड़ाका संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कड़कड़]

१. किसी कड़ी वस्तु के टूटने या टकराने का शब्द । उ॰—(क) रेवड़ी कड़ाका पापड़ पड़ाका ।—हरिश्चद्र (शब्द॰) । (ख) कुंडन के ऊपर कड़ाके उठै ठौर ठौर ।—भूषण ग्रं॰, पृ॰ ३३० । मुहा॰—कड़ाके का=जोर का । तेज । प्रचंड । जैसे, कड़ाके का जाड़ा, कड़ाके की गर्मी, कड़ाके की भूख ।

२. उपवास । लंघन । फाका । जैसे, —कई कड़ाके के बाद आज खाने को मिला है ।