कणिक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कणिक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कण । उ॰—गुरु मुख कणिक प्रीति से पावै । ऊँच नीच के भरम मिटावै ।—कबीर सा॰, भा॰४, पृ॰ ४१० ।

२. अनाज की बाली ।

३. गेहूँ का आटा ।

४. शत्रु ।

५. अग्निमंथ वृक्ष [को॰] ।