कनात

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कनात संज्ञा स्त्री॰ [तुं॰ कनात] मोटे कपड़े की वह दीवार जिससे किसी स्थान को घेरकर आड़ करते हैं । उ॰—(क) तुंग मेरु मंदर सम सुंदर भूपति शिविर सोहाये । विमल विख्यात सोहात कनातन बड़ वितान छबि छाये ।—रघुराज (शब्द॰) । विशेष—इसे खड़ा करने के लिये इसमें तीन तीन, चार चार हाथ पर बाँस की फट्टियाँ सिली रहती है जिनके सिरों पर से रस्सियाँ खींचकर यह खड़ी की जाती है । क्रि॰ प्र॰—खड़ी करना ।—खींचना ।—घेरना ।—लगना ।— लगाना ।