कराँकुल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कराँकुल संज्ञा पुं॰ [सं॰ कलाङ्कुर] पानी के किनारे की एक बड़ी चिड़िया । कूंज । पनकुकड़ी । क्रौंच । उ॰—(क) तहँ तमसा के विपुल पुलिन में लख्यो कराँकुल जोरा । बिहरत मिथुन भाव मँह अति रत करत मनोहर शोरा ।—रघुराज (शब्द॰) । (ख) तहँ विचरत बन मँह मुनिराई । युगल कराँकुल परे दिखाई ।—रघुराज(शब्द॰) । विशेष— इस चिड़िया के झुंड़ ठंड़े पहाड़ो देशों से जाड़े के दिनों में आते हैं । यह 'कर्र कर्र' शब्द करती हुई पंक्ति बाँधकर आकाश में उड़ती है । इसका रंग स्याही और कुछ सुर्खी लि ए हुए भूरा होता है और इसकी गरदन के नीचे का भाग सफेद होता है । यद्यपि संस्कृत कोषों में 'कलांकुर' और 'क्रौंच' दोनों एक नहीं माने गए हैं तथापि अधिकांश लोग 'कराँकुल' को ही 'क्रौंच' पक्षी मानते हैं ।