कर्क

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कर्क ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. केकड़ा ।

२. बारह राशियों में से चौथी राशि । उ॰—अब मैं कहों तंद्र की धारा । कर्क संक्रांति छेमास विचारा ।—कबीर सा॰, पृ॰ ८७९ । विशेष—इसमें पुनर्वसु का अंतिम चरण तथा पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र हैं । ३६० अंक के १२ विभाग करने से एक एक राशि मोटे हिसाब से ३० की मानी जाती है । कर्क पृष्टोदय राशि है ।

३. काकड़ासांगी ।

४. अग्नि ।

५. दर्पण ।

६. घड़ा ।

७. कात्या— यन और सूत्र के एक भाष्यकार ।

८. सफेद घोड़ा (को॰) ।

९. एक प्रकार का रत्न (को॰) ।

कर्क ^२ वि॰

१. सफेद । सुंदर । अच्छा [को॰] ।

कर्क ^३ वि॰ [प्रा॰ कक्कर] कठोर । कठिन । परुष । उ॰—फटै बीर बीरं सुबीरं सुघट्ट' । मनो कर्क करवत्त विहरंत कढढ'— पृ॰ रा॰, २५ ।४४९ ।