कलगी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कलगी संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]

१. शुतुरमुर्ग आदि चिड़ियों के सुंदर पंख जिन्हें राजा लोग पगड़ी या ताज पर लगाते है और जिसमें कभी कभी छोटे मोती भी पिरोए जाते हैं ।

२. मोती या सोने का बना हुआ सिर का एक गहना ।

३. चिड़ियों के सिर पर की चोटी, जैसी मोर या मुर्गे के सिर पर हेती है ।

४. टोपी या पदड़ी में लगाया जानेवाला तुर्रा ।

५. किसी ऊँची इमारत का शिखर ।

६. लावनी का एक ढंग । यौ॰—कलगीबाज ।