कलमा

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लोड़ा

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कलमा संज्ञा पुं॰ [अ॰ कलिमह]

१. वाक्य । बात ।

२. वह वाक्य जो मुसलमान धर्म का मूल मंत्र है— 'ला इलाह इल्लिल्लाह, महम्मद उर् रसूलिल्लाह' । उ॰—चारों वर्ण धर्म छोड़ि कलमा निवाज पढ़ि, शिवाजी न होते तौ सुनति होति सब की ।— भूषण (शब्द॰) । मुहा॰—कलमा पढ़ना= मुसलमान होना । किसी के नाम का कलमा पढ़ना= किसी व्यक्तिविशेष पर अत्यंत श्रद्धा या प्रेम रखना । कलमा पढाना= मुसलमान करना । कलमा भराना= इस्लाम धर्म के प्रति प्रेरित करना । उ॰—दिल्ली बादिसाहाँ दीन आपाँ कै मिलाया । कलमा भी भराया साथ षाँणाँ भी खिलाया ।—शिखर॰, पृ॰ ५५ ।