कलहंस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कलहंस संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. हंस ।
२. राजहंस । उ॰—कूजत कहुँकल- हंस कहूँ मज्जत पारावत ।— भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४५६ ।
३. श्रेष्ठ राजा ।
४. परमात्मा । ब्रह्मा ।
५. एक वर्णवृत का नाम । विशेष—इसमें प्रत्येक चरण में १३ अक्षर अर्थात् एक सगण, एक जगण, फिर दो सगण और अंत में एक गुरु होता है ।— सज सी सिंगार कलहंस गति सी । अलि आई राम छबि मंडप दीसी ।
६. संकर जाति की एक रागिनी जो मधु, शंकरविजय और आभीरी के योग से बनती है ।
७. राजपूतों की एक जाती । उ॰—गहखार परिहार जो कुरे । औ कलहंस जो ठाकुर जुरे ।—जायसी (शब्द॰) ।