कह

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰] घास । तृण । तिनका । उ॰—तुम्हारा नूर है हर शै मे सह से कोह तक प्यारे । इसीसे कहके हर हर तुमको हिंदू ने पुकारा है ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰२, पृ॰ ८५२ ।

कह पु ^२ † वि॰ [सं॰ क:] क्या । उ॰—द्विज दोषी न विचारिये कहा पुरुष कह नारि ।—केशव (शब्द॰) ।