काट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]काट संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कर्त, आ॰ कट्ट]
१. काटने की क्रिया । काटने का काम । जैसे—यह तलवार अच्छी काट करती है । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । यौ॰—काट चाँट = (१) मारकाट । लडाई । (२) काटने से बचा खुचा टुकडा । कतरना । (३) किसी वस्तु में कमी बेशी । घटाव बढाव । जैसे—इस लेख में बहुत काँट छाँट की आवश्यकता है । काट कूट = दे॰ 'काँट छाँट । मारकाट = तलवार आदि की लडाई ।
२. काटने का ढंग । कटाव । तराश । कतरब्योंत । जैसे,—इस आँगरखे की काट अच्छी नहीं है । यौ॰—काँट छाँट = रचना का ढंग । तर्ज । किता ।
३. कटा हुआ स्थान । घाव । जख्म । क्रि॰ प्र॰—करना ।
४. छरछराहट जो घाव पर कोई चीज लगने से होती है ।
५. ढँग । कपट । चालबाजी । विश्वासघात । जैसे,—वह समय पर काट कर जाता है । क्रि॰ प्र॰—करना । यौ॰—काट कपट = चोरी छिपे किसी चीज को कम कर देना । काट छाँट = ढग । जोड तोड । छक्का पंजा । जैसे,—वह बडी काट छाँट का आदमी है । काट फाँस = (१) जोड तोड । फँसाने का डंग । (२) इधर की उधर लगाना । लगाव बझाव ।
६. कुश्ती में पेंच का जोड ।
६. चिकनाई और गर्द मिली मैल । तेल, घी आदि का तलछट ।
काट ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ किट्ट = मैल] वह मैल या तलछट जो तेल के पात्र में नीचे जम जाती है । क्रि॰ प्र॰—बैठना ।