काल सर्प योग

विक्षनरी से

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुन्डली मे राहू और केतु के बीच मे (एक ही तरफ) अन्य सभी सात ग्रह आ जाते हैं, तो इसे काल सर्प योग कह्ते हैं | अगर एक भी ग्रह बाहर आ जाये, तो काल सर्प योग नही बनता। राहु और केतु की कुन्डली मे स्तिथी के अधार पर काल सर्प योग बारह तरह का होता है: अनन्त काल सर्प योग् : जब राहु प्रथम घर मे और केतु सातवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । सन्कटचोथ काल सर्प योग: जब राहु नवे घर मे और केतु तीसरे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । घातक काल सर्प योग: जब राहु दस मे और केतु चोथे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । कुलिक काल सर्प योग: जब राहु दूसरे घर मे और केतु आठवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । वासुकि काल सर्प योग: जब राहु तीसरे घर मे और केतु नवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । सन्कल्प काल सर्प योग: जब राहु चोथे घर मे और केतु दस घर मे होता है, तब ये योग बनता है । पदम काल सर्प योग: जब राहु पाचवे घर मे और केतु ग्याहरवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । महापदम काल सर्प योग: जब राहु छठे घर मे और केतु बारहवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । तक्शक काल सर्प योग: जब राहु सातवे घर मे और केतु प्रथम घर मे होता है, तब ये योग बनता है । कार्कोतटक काल सर्प योग: जब राहु आठवे घर मे और केतु दूसरे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । विशधर काल सर्प योग: जब राहु ग्याहरवे घर मे और केतु पाचवे घर मे होता है, तब ये योग बनता है । शेशनाग काल सर्प योग: जब राहु बारहवे घर मे और केतु छठे घर मे होता है, तब ये योग बनता है ।