किर्म
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]किर्म पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कृमि] दे॰ 'कृमि' । उ॰— तुचा ते ऊन औ किर्म ते पाट है पाट अंबर सोई मनै भावै ।—कबीर रे॰, पृ॰, २२ ।
किर्म ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰ तुलनीय, सं॰ कृमि] कीट । कीड़ा । यौ॰— किर्मखुर्दा = कीड़ा लगा हुआ । कीड़ा खाया हुआ । किर्मपीला = रेशम का कीड़ा । किर्मशबताब = खद्योत । जुगुनूँ ।