कुम्भी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुंभी ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुम्भिन्] हाथी ।

२. मगर ।

३. गुग्गुल या वह पेड़ जिससे गुग्गुल निकलता है ।

४. एक जहरीला कीड़ा ।

५. पारस्कर के अनुसार एक राक्षस जो बच्चों को क्लेश देता है ।

६. एक प्रकार की मछली ।

७. आठ की संख्या (को॰) ।

कुंभी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कुम्भी]

१. छोटा घड़ ।

२. कायफल का पेड़ ।

३. दंती का पेड़ । दाँती ।

४. पांडर का पेड़ ।

५. तरबूज ।

६. बंसी ।

७. एक पेड़ । विशेष—इसकी लकड़ी इगारते और आरायसी चीजें बनाने में काम आती हैं । इसकी छाल से चमड़ा सिझाते और रस्सी बटते हैं, और फल, जिसे कुन्नी (खुन्नी) कहते हैं, पंजाब के लोग खुद खाते और पशुओं को खिलाते हैं ।

८. एक बनस्पति जो जलाशयों में पानी के ऊपर फैलती है । जलकुंभी । विशेष—इसके पत्ते चार पाँच अंगुल लंबे औऱ उतने ही चौडे तथा मोटे दल के होते हैं । इसकी जड़ भूमि में नहीं होती, बल्कि पानी पर सतह के नीचे होती है । यह फूलती फलती नहीं दिखाई देती, पर इसके बीज अवश्य होते हैं । इसकी बहुत सी जातियाँ होती हैं जिनकी पत्तीयाँ भिन्न भिन्न आकार के होती हैं ।

८. एक नरक का नाम । कुंभीपाक नरक ।

१०. सलई का पेड़ ।

११. गनियारी या अर्णी का पेड़ा ।

१२. तल । आधार । उ॰— उन स्तंभो की कुंभियों (आधार) पर शिल्पियों ने एक एक करके 'अ' को छोडकर 'अ' से 'ट' तक के अक्षर खोद डाले हैं ।—भा॰ प्रा॰ लि॰, पृ॰४६ ।