कुवेर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुवेर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक देवता, जो इंद्र की नौ निधियों के भंडारी और महादेव जी के मित्रसमझे जाते हैं । विशेष—यह विश्रवस ऋषि के पुत्र और रावण सौतेले भाई थे । इनकी माता का नाम इलविला था । कहते हैं, इन्होंने विश्वकर्मा से लंका बनवाई थी । पर जब रावण ने इन्हें वहाँ से निकाल दिया तब इनके तपस्या करने पर ब्रह्मा ने इन्हें देवता बनाकर उत्तर दिशा का राज्य दे दिया और इंद्र का भंडारी बना दिया । यह समस्त संसार के स्वामी समझें जाते हैं । इनके एक आँख तीन पैर और आठ दाँत हैं । देवता होने पर भी इन का कहीं पूजन नहीं होता । कोई कोई इन्हें पुलस्त्य ऋषि का भी पुत्र बतलाते हैं । यौ॰—कुवेराचल । कुवेराद्रि । कुवेरदिशा = उत्तरदिशा । कुवेर- बांधव = शिव । पर्या॰—त्र्यवकसखा । यक्षराज । गुह्यकेश्वर । मनुष्यधर्मा । धनद । राजराज । धनाधिप । किन्नरेश । वैश्रवण । नर- वाहन । यज्ञ । एकपिंग । ऐलविल । श्रीद । पुण्यजनेश्वर । हर्यक्ष । अलकाधिप ।

२. जैन मत में वर्तमान अवसर्पिणी (कावगति) के १९ वे अर्हत् का एक उपासक ।

३. तुन का पेड़ ।

कुवेर ^२ वि॰

१. बुरा । खराब ।

२. बुरे या बेढंगे होठवाला [को॰] ।